"आपार आईडी: फायदे, नुकसान और माता-पिता की सहमति का महत्व"

 वंदे मातरम साथियों, आज का विषय है अपार आईडी। परसों मैंने एक आरटीआई का हवाला दिया था, जिसे हमारे एक मित्र ने दायर किया। उस आरटीआई में यह स्पष्ट किया गया कि अपार आईडी को माता-पिता की सहमति के बिना नहीं बनाया जा सकता और यह अनिवार्य नहीं है। अगर आप इसे नहीं बनवाना चाहते, तो यह पूरी तरह से आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। इसके अलावा, आपकी सहमति देने के बाद भी, आपको इसे वापस लेने का अधिकार है।



अपार आईडी क्या है?

अपार आईडी (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री), आपके बच्चे के पूरे शैक्षणिक डाटा को डिजिटली संग्रहीत करने का एक सिस्टम है। इसमें बच्चे के सर्टिफिकेट, शैक्षणिक उपलब्धियां, खेलकूद में प्रदर्शन, स्कूल का रिकॉर्ड आदि को डिजिलॉकर के माध्यम से सुरक्षित रखा जाएगा। यह दावा किया जा रहा है कि अपार आईडी से बच्चों को स्कूल ट्रांसफर या दूसरे राज्य में प्रवेश जैसी सुविधाओं में आसानी होगी।

लेकिन, इसके नुकसान क्या हैं?
हमेशा की तरह, कुछ प्रश्न उठते हैं जिन्हें हमें गंभीरता से समझना चाहिए।

अपार आईडी के संभावित नुकसान

  1. डेटा प्राइवेसी का खतरा:
    इसमें बच्चे का पूरा बायोमेट्रिक डाटा, जैसे फिंगरप्रिंट्स और रेटिना स्कैन तक शामिल होंगे। अगर यह डाटा किसी कारणवश लीक हो जाए, तो उसका गलत उपयोग हो सकता है। आज के समय में आधार डाटा के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं।

  2. सहमति की शर्त:
    माता-पिता से सहमति ली जा रही है, लेकिन क्या वाकई आपके डाटा को डिलीट कर दिया गया या सुरक्षित रखा गया, इसकी गारंटी कौन देगा?

  3. अनावश्यक खर्च:
    ₹14900 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट पर खर्च किए जा रहे हैं, जो टैक्सपेयर्स के पैसे से हो रहा है। सवाल उठता है कि जब आधार कार्ड और डिजिलॉकर पहले से उपलब्ध हैं, तो अपार आईडी की क्या आवश्यकता थी?

  4. डिजिटल प्रेशर और मानसिक तनाव:
    अपार आईडी के जरिए बच्चों का एक स्कोर क्रेडिट सिस्टम बनाया जा सकता है, जिसमें स्पोर्ट्स, टीकाकरण, और अन्य गतिविधियों को शामिल किया जाएगा। इसका दबाव बच्चों और उनके माता-पिता पर पड़ सकता है, जिससे डिप्रेशन और आत्महत्या की संभावना बढ़ सकती है।

  5. डिजिटल डिपेंडेंसी और संभावित ब्लैकमेलिंग:
    यदि भविष्य में किसी कारणवश आपका डिजिटल अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया, तो आपके बच्चे की शिक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है। यह डिजिटल नियंत्रण का एक बड़ा खतरा है।

डीपीडीपी एक्ट और अपार आईडी

2023 में पास हुआ डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) इस प्रकार के डेटा संग्रहण को रेगुलेट करेगा। हालांकि यह अभी लागू नहीं हुआ है, लेकिन भविष्य में इसके तहत अपार आईडी के दुरुपयोग से सुरक्षा के उपाय किए जाएंगे। फिर भी, यह कितना प्रभावी होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है।

आगे का रास्ता

अपार आईडी पर सहमति देने से पहले, इसके सभी लाभ और नुकसान को गहराई से समझना आवश्यक है। माता-पिता को जागरूक रहकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

यदि आपके बच्चे के स्कूल में इस पर दबाव बनाया जा रहा है, तो संबंधित आरटीआई का उपयोग कर अपनी बात रखिए। बच्चों का भविष्य हमारे हाथ में है, और हमें हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए।

आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? अपने विचार साझा करें!

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